सायन अस्पताल के डीन डॉ मोहन जोशी ने कहा कि सुकृत खांडेकर ने एक ही समय में दो जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए ‘सामना’ पर थीसिस लिखकर महाराष्ट्र में एक नया अध्याय लिखा है। पत्रकारिता के साथ-साथ शोध पत्र लिखने से नई पीढ़ी को राजनीति और पत्रकारिता को जोड़ने का मौका मिला है।
पत्रकार सुकृत खांडेकर को उनकी थीसिस ‘सामना’ के लिए तिलक विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट पुरस्कार के लिए मौलाना आजाद सभागार, सांताक्रूज पूर्व में एक सार्वजनिक अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस समय डॉ. जोशी बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि प्रहार के संपादक सुकृत खांडेकर ने शिवसेना के ‘सामना’ विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। पिछले पांच दशकों के उनके अनुभव ने इसे संभव बनाया। भविष्य में उनका अध्ययन राज्य में नवागंतुकों के लिए उपयोगी साबित होगा।
आप नेता धनंजय शिंदे ने कहा कि पचास साल तक पत्रकारिता में अपनी पहचान बनाने वाले सुकृत खांडेकर आज की पत्रकारिता में एक प्रकाशस्तंभ की तरह हैं. ऐसे व्यक्ति को समाज को सुनना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. गजानन देसाई ने कहा कि सुकृत खांडेकर ने अपने कार्यों से साबित किया है कि पत्रकारिता कैसे की जाती है और सत्ता में बैठे लोगों को समय-समय पर कैसे उनका प्रबोधन किया जाता है।
सत्कारमूर्ति सुकृत खांडेकर ने सार्वजनिक सम्मान के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि डॉक्टरेट प्राप्त करने में छह साल लग गए लेकिन अब जिम्मेदारी बढ़ गई है और जल्द ही वह थीसिस ‘सामना’ पर एक किताब तैयार करेंगे ताकि नई पीढ़ी को विश्वसनीय जानकारी मिल सके। जीवन में तरह-तरह के प्रलोभन आए, लेकिन आज मैं संतुष्ट हूं कि मैंने विनम्रतापूर्वक उन्हें अस्वीकार कर दिया है और ईमानदारी से काम किया है।
वरिष्ठ पत्रकार नारायण हर्लीकर, कांग्रेस नेता शिवजी सिंह, डॉ. दीप नारायण शुक्ला, डॉ. कृष्णा नाइक, लोक गायक सुरेश शुक्ला, प्रमोद खानविलकर, नितिन मोहिते, विनोद साडविलकर, किशोर ढमाल, संदीप सिंह, रत्नाकर शेट्टी, रियाज वजीर चंद मुल्ला, दत्ता शेलके, संदीप येजरे उपस्थित थे। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर हेगिष्टे ने परिचयात्मक भाषण दिया। कीर्तनकार वीना खाडिलकर ने निर्देशन का बेहतरीन काम किया है।
इस अवसर पर समाज के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। इसमें महिंद्रा चितोडिया, रौनत सिंह राठौर, परवीन सैयद, राजू देवली, रमेश वारंगे, नितिन कोलगे और संतोष कोबनाक शामिल थे।